Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jan 2019 · 1 min read

मुक्तक

” बेचैनियाँ बढ़ीं तो दुआ बन गई ग़ज़ल,
ज़र्रे जो थरथराए, सदा बन गई ग़ज़ल,
चमकी कहीं जो बर्क़ तो ऐहसास बन गई,
छाई कहीं घटा तो अदा बन गई ग़ज़ल”

Language: Hindi
467 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
खुशियों का बीमा (व्यंग्य कहानी)
खुशियों का बीमा (व्यंग्य कहानी)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
विश्व की पांचवीं बडी अर्थव्यवस्था
विश्व की पांचवीं बडी अर्थव्यवस्था
Mahender Singh
■ फूट गए मुंह सारों के। किनारा कर रहे हैं नपुंसक। निंदा का स
■ फूट गए मुंह सारों के। किनारा कर रहे हैं नपुंसक। निंदा का स
*प्रणय प्रभात*
बरसात
बरसात
Bodhisatva kastooriya
हक़ीक़त पर रो दिया
हक़ीक़त पर रो दिया
Dr fauzia Naseem shad
स्त्री एक कविता है
स्त्री एक कविता है
SATPAL CHAUHAN
मुश्किल से मुश्किल हालातों से
मुश्किल से मुश्किल हालातों से
Vaishaligoel
आता एक बार फिर से तो
आता एक बार फिर से तो
Dr Manju Saini
दिन भर जाने कहाँ वो जाता
दिन भर जाने कहाँ वो जाता
डॉ.सीमा अग्रवाल
कोहरा और कोहरा
कोहरा और कोहरा
Ghanshyam Poddar
सरसी छंद
सरसी छंद
Charu Mitra
जब तू मिलती है
जब तू मिलती है
gurudeenverma198
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
समा गये हो तुम रूह में मेरी
समा गये हो तुम रूह में मेरी
Pramila sultan
बात जो दिल में है
बात जो दिल में है
Shivkumar Bilagrami
प्रभु भक्ति में सदा डूबे रहिए
प्रभु भक्ति में सदा डूबे रहिए
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
"याद रहे"
Dr. Kishan tandon kranti
पिया मिलन की आस
पिया मिलन की आस
Kanchan Khanna
राष्ट्रशांति
राष्ट्रशांति
Neeraj Agarwal
मनुष्य की पहचान अच्छी मिठी-मिठी बातों से नहीं , अच्छे कर्म स
मनुष्य की पहचान अच्छी मिठी-मिठी बातों से नहीं , अच्छे कर्म स
Raju Gajbhiye
भोर होने से पहले .....
भोर होने से पहले .....
sushil sarna
जो दूरियां हैं दिल की छिपाओगे कब तलक।
जो दूरियां हैं दिल की छिपाओगे कब तलक।
सत्य कुमार प्रेमी
गांव की गौरी
गांव की गौरी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
3421⚘ *पूर्णिका* ⚘
3421⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
शहीदे आजम भगत सिंह की जीवन यात्रा
शहीदे आजम भगत सिंह की जीवन यात्रा
Ravi Yadav
झुर्रियों तक इश्क़
झुर्रियों तक इश्क़
Surinder blackpen
ग़र हो इजाजत
ग़र हो इजाजत
हिमांशु Kulshrestha
तो मैं राम ना होती....?
तो मैं राम ना होती....?
Mamta Singh Devaa
जानना उनको कहाँ है? उनके पते मिलते नहीं ,रहते  कहीं वे और है
जानना उनको कहाँ है? उनके पते मिलते नहीं ,रहते कहीं वे और है
DrLakshman Jha Parimal
ঐটা সত্য
ঐটা সত্য
Otteri Selvakumar
Loading...