मुक्तक
अंज़ाम ज़िन्दग़ी का अफ़साने जैसा है।
कभी हँसाने कभी रूलाने जैसा है।
जब कभी टकराते हैं तूफ़ान यादों के-
किसी का ज़िक्र ख़ुद को तड़पाने जैसा है।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
अंज़ाम ज़िन्दग़ी का अफ़साने जैसा है।
कभी हँसाने कभी रूलाने जैसा है।
जब कभी टकराते हैं तूफ़ान यादों के-
किसी का ज़िक्र ख़ुद को तड़पाने जैसा है।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय