मुक्तक
उस ख़ुदा पर मुझे बहुत है यकीं
जिसने ये आसमां बनाया ज़मीं
ये यक़ीनन क़रम उसी का है
मेरे अंदर जो बोलता है कहीं
प्रीतम राठौर भिनगाई
उस ख़ुदा पर मुझे बहुत है यकीं
जिसने ये आसमां बनाया ज़मीं
ये यक़ीनन क़रम उसी का है
मेरे अंदर जो बोलता है कहीं
प्रीतम राठौर भिनगाई