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2 Jan 2019 · 1 min read

मुक्तक

मिसरे

ज़िन्दगी इस तरह भी बिताया हूँ मैं
हर घड़ी मौत को पास पाया हूँ मैं

दोस्त अहबाब सब दूर जाने लगे
फिर अकेले ही खुद को रुलाया हूँ मैं

प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)

Language: Hindi
228 Views
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