मुक्तक
खाक़ में तू “””मिला न पायेगी
हौसलों को”””मिटा न पायेगी
जिन दरख़्तों का हो ख़ुदा रहबर
उनको आँधी “””हिला न पायेगी
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)
खाक़ में तू “””मिला न पायेगी
हौसलों को”””मिटा न पायेगी
जिन दरख़्तों का हो ख़ुदा रहबर
उनको आँधी “””हिला न पायेगी
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)