मुक्तक
आज़ मुझको गुलाब देगा वो
कोई आँखों को ख़्वाब देगा
तीरग़ी दूर भाग जाएगी
ऐसा इक माहताब देगा वो
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)
आज़ मुझको गुलाब देगा वो
कोई आँखों को ख़्वाब देगा
तीरग़ी दूर भाग जाएगी
ऐसा इक माहताब देगा वो
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)