मुक्तक
करते थे जो फ़क़त बात भर
रह गये अब वो गुजरात भर
आशियाँ कागजों पर बने
घर मेरा टपका बरसात भर
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)
करते थे जो फ़क़त बात भर
रह गये अब वो गुजरात भर
आशियाँ कागजों पर बने
घर मेरा टपका बरसात भर
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)