मुक्तक
सामने है साक़ी हाथों में शराब है।
मेरी निगाहों में तेरा ही शबाब है।
प्यास जल रही है तेरी कब से लबों पर-
हुस्न का ख़्यालों में फ़ैलता महताब है।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
सामने है साक़ी हाथों में शराब है।
मेरी निगाहों में तेरा ही शबाब है।
प्यास जल रही है तेरी कब से लबों पर-
हुस्न का ख़्यालों में फ़ैलता महताब है।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय