मुक्तक
“प्रिय मिलन”
सखि भला किस बिधि सुर को सजाऊँ मैं आज
आऐंगे मीत पिया ,मन हीं मन मुस्काऊँ मैं आज ।
मै कुसुम मृदुल आहत मन मेरा, था चातक सा
बूँद की प्यासी गाती फिरती हाँथ लिए मैं साज ।
सखि तू भी गा प्रिय मिलन की,गीत लिखी हूँ आज
झोंकों मे जलता पवनके,अखण्ड दीप लिखी हूँ आज ।
हर साज सजे सुर ताल मिले,मन वीणा के तारों पर
प्रीत की दरिया मे बहती ,एक संगीत लिखी हूँ आज ।
चाँदीनी बरसो रे मेरे आंगन ,मिलन मे मगन मैं आज
कैसे भावों के कण-कण मे,अपने चमक लाई मैं आज ।
उठ आई है पुलक मृदु मुस्कान ,मेरे तन-मन मे देखो
प्रियसे हँसती छनती किरणों सी,गले मिलूँगी मैं आज ।
प्रमिला श्री