मुक्तक
मुक्तक
इश्क में इश्क ने हम पर रुआब रक्खा है।
हरेक सवाल का हमने जवाब रक्खा है।
जुबाँ ख़ामोश है लब मुस्कुरा रहे अपने-
ढहाए जुल्मो सितम का हिसाब रक्खा है।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी(उ. प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर
मुक्तक
इश्क में इश्क ने हम पर रुआब रक्खा है।
हरेक सवाल का हमने जवाब रक्खा है।
जुबाँ ख़ामोश है लब मुस्कुरा रहे अपने-
ढहाए जुल्मो सितम का हिसाब रक्खा है।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी(उ. प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर