मुक्तक
बेरुखी की नजर से सिहर जाएंगे।
टूट कर कांच सा हम बिखर जाएंगे।
यूँ न जाओ सनम दिल मेरा तोड़कर
बिन तुम्हारे कसम हम तो मर जाएंगे।
पवन कुमार नीरज
बेरुखी की नजर से सिहर जाएंगे।
टूट कर कांच सा हम बिखर जाएंगे।
यूँ न जाओ सनम दिल मेरा तोड़कर
बिन तुम्हारे कसम हम तो मर जाएंगे।
पवन कुमार नीरज