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29 Oct 2018 · 1 min read

मुक्तक

कुछ साँप आस्तीन में पलते ही रहे हैं,
जब भी मिला मौका, हमें छलते ही रहे हैं।
फिर भी बुझा पाईं नहीं नफरत की हवाएं,
उम्मीद के दीपक सदा जलते ही रहे हैं।।
-विपिन शर्मा

Language: Hindi
1 Comment · 294 Views
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