मुक्तक
ना ही किसी भी धर्म ना परिवेश में लिए
ना ही मैं लिखता व्यक्ति ना विशेष के लिए
बस दे दुआ माँ शारदे मैं मांगता यही
ये लेखनी जब भी उठे तो देश के लिए।
अशोक छाबडा
08112017
ना ही किसी भी धर्म ना परिवेश में लिए
ना ही मैं लिखता व्यक्ति ना विशेष के लिए
बस दे दुआ माँ शारदे मैं मांगता यही
ये लेखनी जब भी उठे तो देश के लिए।
अशोक छाबडा
08112017