मुक्तक
रोको ये मंजर, बदल दो नजारा
कुछ भी करो, अब ना हो ये दुबारा
गंदे पड़ोसी की हो जाए छुट्टी
कहता है खुलकर तिरंगा हमारा ।
_______प्रमिला श्री
रोको ये मंजर, बदल दो नजारा
कुछ भी करो, अब ना हो ये दुबारा
गंदे पड़ोसी की हो जाए छुट्टी
कहता है खुलकर तिरंगा हमारा ।
_______प्रमिला श्री