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6 Sep 2018 · 1 min read

मुक्तक

उनके माथे पर तो अक्सर, पत्थर के ही दाग रहे,
जो आम, इमली ,अमरूदों, के पेड़ों वाले बाग़ रहे,
उन कदमों को कोई पर्वत या नदियां क्या रोकेंगी?
जिनकी आँखों में सागर , सीने में जलती आग रहे।

Language: Hindi
203 Views
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