मुक्तक
बिन हवा के खूशबू कभी बिखरती नही
नही खिले फूल तो बगिया सवंरती नहीं
राहों मे बिछे फूल हीं फूल नहीं काटें भी हैं
बिन चुभे पाँव मे कांटे मंजिल मिलती नहीं ।
प्रमिला श्री
बिन हवा के खूशबू कभी बिखरती नही
नही खिले फूल तो बगिया सवंरती नहीं
राहों मे बिछे फूल हीं फूल नहीं काटें भी हैं
बिन चुभे पाँव मे कांटे मंजिल मिलती नहीं ।
प्रमिला श्री