मुक्तक
जो भी एहसास के शोलों पे मचल जाएंगे
वे हवाओं के इक झोंके से ही जल जाएंगे।
अपना दिल मोम सरीखा तो बनाकर देखो
है ये दावा, दिल-ए-पत्थर भी पिघल जाएंगे।।
-विपिन शर्मा
जो भी एहसास के शोलों पे मचल जाएंगे
वे हवाओं के इक झोंके से ही जल जाएंगे।
अपना दिल मोम सरीखा तो बनाकर देखो
है ये दावा, दिल-ए-पत्थर भी पिघल जाएंगे।।
-विपिन शर्मा