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9 Aug 2018 · 1 min read

मुक्तक

” शहीदों की चिताएँ तो वतन की आरती सी हैं,
उठती लपटें किसी नागिन-सदृश फुफकारती–सी हैं ,
चिताओं की बुझी हर राख गंगा-रेणु सी लगती,
निहत्थी अस्थियाँ भी शस्त्र की छवि धारती-सी हैं “

Language: Hindi
244 Views
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