मुक्तक
तीन बहन फिर मरी भूख से बेबस उनकी माई है,
नन्ही तीन कली खिलने से पहले ही मुरझाई है।
कहीं स्विस में पैसा सडता कहीं जिंदगी दम तोड़े,
कहीं अमीरी कहीं गरीबी कितनी गहरी खाई है।।
अशोक छाबड़ा
02082018
तीन बहन फिर मरी भूख से बेबस उनकी माई है,
नन्ही तीन कली खिलने से पहले ही मुरझाई है।
कहीं स्विस में पैसा सडता कहीं जिंदगी दम तोड़े,
कहीं अमीरी कहीं गरीबी कितनी गहरी खाई है।।
अशोक छाबड़ा
02082018