मुक्तक
मैं अपनी तमन्नाओं पर नकाब रखता हूँ।
मैं करवटों में चाहत की किताब रखता हूँ।
जब भी क़रीब होती हैं यादें ज़िन्दग़ी की-
मैं दर्द तन्हाई का बेहिसाब रखता हूँ।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
मैं अपनी तमन्नाओं पर नकाब रखता हूँ।
मैं करवटों में चाहत की किताब रखता हूँ।
जब भी क़रीब होती हैं यादें ज़िन्दग़ी की-
मैं दर्द तन्हाई का बेहिसाब रखता हूँ।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय