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30 May 2018 · 1 min read

मुक्तक

हर शख्स जमाने में बीमार जैसा है!
ख्वाहिशों का मंजर लाचार जैसा है!
सहमी हुई तकदीरें हैं इंसानों की,
आदमी सदियों से बाजार जैसा है!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
377 Views
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