मुक्तक
आज फिर हाँथों में जाम लिए बैठा हूँ!
तेरे..दर्द का पैगाम लिए बैठा हूँ!
वस्ल की निगाहों में ठहरी हैं यादें,
तेरा फिर लबों पर नाम लिए बैठा हूँ!
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
आज फिर हाँथों में जाम लिए बैठा हूँ!
तेरे..दर्द का पैगाम लिए बैठा हूँ!
वस्ल की निगाहों में ठहरी हैं यादें,
तेरा फिर लबों पर नाम लिए बैठा हूँ!
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय