मुक्तक
वादा किया मगर ना वादाखिलाफी की
अपनो के लिए नासूर अपनी जिंदगी की
कोई नही है साथ, हरिक गैर बन गया
जो मिला कबूल कर न कोई तिश्नगी की……
वादा किया मगर ना वादाखिलाफी की
अपनो के लिए नासूर अपनी जिंदगी की
कोई नही है साथ, हरिक गैर बन गया
जो मिला कबूल कर न कोई तिश्नगी की……