मुक्तक
आँख ये थी मिरी तुमसे मिल जब गई,
दूसरी जिंदगी थी मिली थी नई,
तुम बिना तन मिरा था गिरा क्या कहूँ,
दिल मिरे को लगा धड़कनें मिल गई।।
अशोक छाबड़ा 30032018
आँख ये थी मिरी तुमसे मिल जब गई,
दूसरी जिंदगी थी मिली थी नई,
तुम बिना तन मिरा था गिरा क्या कहूँ,
दिल मिरे को लगा धड़कनें मिल गई।।
अशोक छाबड़ा 30032018