मुक्तक
प्रदत शीर्षक- अलंकार, आभूषण, भूषण, विभूषण, गहना, जेवर
सादर प्रस्तुत एक दोहा मुक्तक………….
“मुक्तक”
गहना भूषण विभूषण, रस रूप अलंकार
बोली भाषा हो मृदुल, गहना हो व्यवहार
जेवर बाहर झाँकता, चतुर चाहना भेष
आभूषण अंदर धरे, घूर रहा आकार॥
महातम मिश्रा, गौतम गोरखपुरी