मुक्तक
छोड़ दो बोल ये चीरते हैं मुझे,
प्यार से मान लो ना रहो यूँ बुझे।
सोच यह मीत लो फाग है छा गया,
खेल होली सुजन अंग भर लूँ तुझे।।
अशोक छाबड़ा 24022018
छोड़ दो बोल ये चीरते हैं मुझे,
प्यार से मान लो ना रहो यूँ बुझे।
सोच यह मीत लो फाग है छा गया,
खेल होली सुजन अंग भर लूँ तुझे।।
अशोक छाबड़ा 24022018