मुक्तक
चला हूं अपनी नहीं अपनों की तकदीर बदलने,
बदल पाया नहीं कभी उनकी तकदीर बदलने ।
चुनीं राह जो उसने चला उसपर दुनिया बदलने ,
दुनिया कब बदली है किसी के कहने पर बदलने।
चला हूं अपनी नहीं अपनों की तकदीर बदलने,
बदल पाया नहीं कभी उनकी तकदीर बदलने ।
चुनीं राह जो उसने चला उसपर दुनिया बदलने ,
दुनिया कब बदली है किसी के कहने पर बदलने।