मुक्तक
चाहता हूं दौलत ज़हान से ज्यादा जान मेरी,
मुझे पता है तूं मेरी होकर हो गई पराई जान मेरी ।
ख्याल रहता है सदा उसका अपने सिवा जान मेरी,
तूं जान मेरी होकर भी हो गई पराई जान मेरी ।
चाहता हूं दौलत ज़हान से ज्यादा जान मेरी,
मुझे पता है तूं मेरी होकर हो गई पराई जान मेरी ।
ख्याल रहता है सदा उसका अपने सिवा जान मेरी,
तूं जान मेरी होकर भी हो गई पराई जान मेरी ।