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3 Dec 2017 · 1 min read

मुक्तक

होते ही सुबह तेरी तस्वीर से मिलता हूँ!
तेरी तमन्नाओं की जागीर से मिलता हूँ!
नजरों को घेर लेता है यादों का समन्दर,
चाहत की बिखरी हुई तकदीर से मिलता हूँ!

मुक्तककार – #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
507 Views
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