Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Nov 2017 · 1 min read

मुक्तक

तेरी रुसवाई से हैरान सा रहता हूँ!
तेरी जुदाई से परेशान सा रहता हूँ!
बढ़ती ही जा रही हैं घड़ियाँ इंतजार की,
अपनी तन्हाई में वीरान सा रहता हूँ!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
252 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

कल्पित एक भोर पे आस टिकी थी, जिसकी ओस में तरुण कोपल जीवंत हुए।
कल्पित एक भोर पे आस टिकी थी, जिसकी ओस में तरुण कोपल जीवंत हुए।
Manisha Manjari
इश्क़ और इंकलाब
इश्क़ और इंकलाब
Shekhar Chandra Mitra
#तेवरी
#तेवरी
*प्रणय*
"ज़िंदगी जीना ही होता है"
Ajit Kumar "Karn"
Someone Special
Someone Special
Ram Babu Mandal
देशभक्ति कविता
देशभक्ति कविता
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
कलरव में कोलाहल क्यों है?
कलरव में कोलाहल क्यों है?
Suryakant Dwivedi
सत्यदेव
सत्यदेव
Rajesh Kumar Kaurav
*होली*
*होली*
Dr. Vaishali Verma
तुलनात्मक अध्ययन एक अपराध-बोध
तुलनात्मक अध्ययन एक अपराध-बोध
Mahender Singh
गर्मी बनाम चुनावी सरगर्मी
गर्मी बनाम चुनावी सरगर्मी
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
बढ़ना है आगे तो
बढ़ना है आगे तो
Indu Nandal
उदास हो गयी धूप ......
उदास हो गयी धूप ......
sushil sarna
डिप्रेशन का माप
डिप्रेशन का माप
Dr. Kishan tandon kranti
प्रत्यक्ष खड़ा वो कौन था
प्रत्यक्ष खड़ा वो कौन था
Chitra Bisht
"उडना सीखते ही घोंसला छोड़ देते हैं ll
पूर्वार्थ
तुम-सम बड़ा फिर कौन जब, तुमको लगे जग खाक है?
तुम-सम बड़ा फिर कौन जब, तुमको लगे जग खाक है?
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
मनुख
मनुख
श्रीहर्ष आचार्य
కృష్ణా కృష్ణా నీవే సర్వము
కృష్ణా కృష్ణా నీవే సర్వము
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
आदिवासी कभी छल नहीं करते
आदिवासी कभी छल नहीं करते
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
तुम तो ख़ामोशियां
तुम तो ख़ामोशियां
Dr fauzia Naseem shad
मैं(गाँव) तड़प रहा हूँ पल-पल में
मैं(गाँव) तड़प रहा हूँ पल-पल में
Er.Navaneet R Shandily
तेवरी केवल कैमरे की कला नहीं + निरंजन कुमार ‘निराकार’
तेवरी केवल कैमरे की कला नहीं + निरंजन कुमार ‘निराकार’
कवि रमेशराज
उज्जैयिनी
उज्जैयिनी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
23/110.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/110.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शब्द
शब्द
Mamta Rani
इस आकाश में अनगिनत तारे हैं
इस आकाश में अनगिनत तारे हैं
Sonam Puneet Dubey
जो दिखता है नहीं सच वो हटा परदा ज़रा देखो
जो दिखता है नहीं सच वो हटा परदा ज़रा देखो
आर.एस. 'प्रीतम'
रूस्तम रूठे तो रूपमा, रूह रूठे तो कौन।
रूस्तम रूठे तो रूपमा, रूह रूठे तो कौन।
PK Pappu Patel
**वो पागल  दीवाना हो गया**
**वो पागल दीवाना हो गया**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...