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6 Oct 2017 · 1 min read

मुक्तक

जबसे तेरी चाहत में नाकाम हो गया हूँ!
दर्द और तन्हाई का पैगाम हो गया हूँ!
मैं ढूंढता रहता हूँ सब्र को पैमानों में,
तेरी याद में भटकी हुई शाम हो गया हूँ!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
382 Views
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