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18 Sep 2017 · 1 min read

मुक्तक

अब तो मंजिलों के भी दाम हो गये हैं!
रिश्ते जिन्दगी के नीलाम हो गये हैं!
दर्द की लकीरें तैरती हैं अश्कों में,
अब तो जख्मों के कई नाम हो गये हैं!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
1 Like · 401 Views
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