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29 Jul 2017 · 1 min read

मुक्तक

तेरे ख्यालों की मैं राह ढूंढ लेता हूँ!
तेरे जख्मों की मैं आह ढूंढ़ लेता हूँ!
ढूंढ लेती हैं मुझको तन्हाइयाँ जब भी,
मयकदों में अपनी पनाह ढूंढ लेता हूँ!

मुक्तककार-#मिथिलेश_राय

Language: Hindi
375 Views
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