* मुक्तक *
अंत ही आरम्भ है नई शुरुआत का ।
चलते रहो बेख़ौफ़ डर किस बात का ।।
जीवन मिला है तो मौत भी निश्चित है ।
अंत से घबराकर भागना किस बात का ।।
अंत ही आरम्भ है नई शुरुआत का ।
चलते रहो बेख़ौफ़ डर किस बात का ।।
जीवन मिला है तो मौत भी निश्चित है ।
अंत से घबराकर भागना किस बात का ।।