मुक्तक
मेरे नसीब मुझको रुलाते किसलिए हो?
मेरी जिन्दगी को तड़पाते किसलिए हो?
#दूर_दूर सी रहती हैं मंजिलें मुझसे,
रहमों-करम का खेल दिखाते किसलिए हो?
मुक्तककार – #मिथिलेश_राय
मेरे नसीब मुझको रुलाते किसलिए हो?
मेरी जिन्दगी को तड़पाते किसलिए हो?
#दूर_दूर सी रहती हैं मंजिलें मुझसे,
रहमों-करम का खेल दिखाते किसलिए हो?
मुक्तककार – #मिथिलेश_राय