मुक्तक
सादर प्रेषित
जय किसान और जवान का नारा अब बेमानी है।
रक्षक खत्म कर दो पत्थर से,कृषि ने गोली खानी है।
खुद अपनी ही जड़ें न काटो, कुछ अपनी अकल लगाओ।
आपस में सबको लड़वाना, शत्रु ने मन में ठानी है।
नीलम शर्मा
सादर प्रेषित
जय किसान और जवान का नारा अब बेमानी है।
रक्षक खत्म कर दो पत्थर से,कृषि ने गोली खानी है।
खुद अपनी ही जड़ें न काटो, कुछ अपनी अकल लगाओ।
आपस में सबको लड़वाना, शत्रु ने मन में ठानी है।
नीलम शर्मा