मुक्तक
हूं चंचल चपल नदि मैं,बहूं या न बहूं?
उर दर्द है वेदना है सहूं या न सहूं।
डूबे हैं दर्द की स्याही में गीत मेरे
अनमनी सी व्यथा है कहूं या न कहूं ?
#####################
चारों तरफ अंधेरा, जाने कब छटेगा।
जीवन लंबा सफर,जाने कैसे कटेगा।
बस इसी यकीन पर,अब जिंदा है आदमी,
कभी तो इस अंधकार का बादल हटेगा।
#######################
नीलम शर्मा