मुक्तक
मुक्तक
हरित पल्लवित अचला वसुधा सुंदर अति मनोहर
क्यों किया अवसादित खंडित,मानव अब दयाकर
भांति-भांति की लता वल्लरी वनस्पतियांहैं उजाड़ी
है दुखी जीव पक्षी मृग उजाड़ धरा पर विचरकर।
नीलम शर्मा
मुक्तक
हरित पल्लवित अचला वसुधा सुंदर अति मनोहर
क्यों किया अवसादित खंडित,मानव अब दयाकर
भांति-भांति की लता वल्लरी वनस्पतियांहैं उजाड़ी
है दुखी जीव पक्षी मृग उजाड़ धरा पर विचरकर।
नीलम शर्मा