मुक्तक
शाम होते ही तेरी याद आ गयी है!
शबनमी लम्हों की फरियाद आ गयी है!
वही तेरी जुल्फें वही बलखना तेरा,
फिर वही खुशबू मुद्दत बाद आ गयी है!
मुक्तककार- मिथिलेश राय #महादेव’
शाम होते ही तेरी याद आ गयी है!
शबनमी लम्हों की फरियाद आ गयी है!
वही तेरी जुल्फें वही बलखना तेरा,
फिर वही खुशबू मुद्दत बाद आ गयी है!
मुक्तककार- मिथिलेश राय #महादेव’