पिया परदेस
कुछ तपन मन में और कुछ बातें अनकही
कहूँ किसे पिया परदेस यही सोच रही
लिखूं मैं कोरे कागज़ पर मन की बातें
वो भी पढ़े विरह में, मैंने क्या-क्या सही
कुछ तपन मन में और कुछ बातें अनकही
कहूँ किसे पिया परदेस यही सोच रही
लिखूं मैं कोरे कागज़ पर मन की बातें
वो भी पढ़े विरह में, मैंने क्या-क्या सही