मुक्तक
इश्क रोकर सींचे तो क्या, मतलबी दुनिया बंजर है
मासूमियत चेहरे पे तो क्या, नफरतों का ही मंजर है
यहां बस दिल के बदले में दर्द ऐ दिल ही मिलना है
दिखावे की वफ़ा तो क्या, छुपा जब दिल में खंजर है
इश्क रोकर सींचे तो क्या, मतलबी दुनिया बंजर है
मासूमियत चेहरे पे तो क्या, नफरतों का ही मंजर है
यहां बस दिल के बदले में दर्द ऐ दिल ही मिलना है
दिखावे की वफ़ा तो क्या, छुपा जब दिल में खंजर है