मिला है जब से साथ तुम्हारा
मैं हू बेटा तेरा तूही माँ है मेरी
वो मुझे बस इतना चाहती है,
Being with and believe with, are two pillars of relationships
रात रात भर रजनी (बंगाल पर गीत)
सावन भादो
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आज की दुनिया ऐसी ज़ालिम है...
मंजिल की तलाश जारी है कब तक मुझसे बचकर चलेगी तू ।
बाल एवं हास्य कविता: मुर्गा टीवी लाया है।
पूर्ण शरद का चंद्रमा, देख रहे सब लोग
चौकड़िया छंद / ईसुरी छंद , विधान उदाहरण सहित , व छंद से सृजित विधाएं
आज दिवस है इश्क का, जी भर कर लो प्यार ।