#मुक्तक-
#मुक्तक-
■ एक नाव, कई साथी।
[प्रणय प्रभात]
साथ चलते हैं किनारे,
हर घड़ी बाँहें पसारे।
जोश का संचार करते,
ये सतत गतिशील धारे।।
वेग ख़ुद देती हवाएं,
और लहरें हैं सहेली।
ये मुझे लगता कहाँ है,
नाव है मेरी अकेली।।
😊😊😊😊😊😊😊😊😊
-सम्पादक-
●न्यूज़&व्यूज़●
(मध्य-प्रदेश)