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14 Oct 2024 · 1 min read

#मुक्तक-

#मुक्तक-
■ उलों में ओझल।
【प्रणय प्रभात】
“फर्श छत तांड और आलों में,
घर मुझे ढूंढता दिवालों में।
कल अंधेरों में था वजूद मेरा,
आज ओझल हूँ मैं उजालों में।।”
👌👌👌👌👌👌👌👌👌

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