मुक्तक
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मुहब्बत की राहों से गुजर कर देखा है
गुलाब की हर कली को नजर भर देखा है
रंगत ही नहीं खुशबुओं को भी चुरा लेते है
चाहत के नशे में बिखर कर देखा है
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मुहब्बत की राहों से गुजर कर देखा है
गुलाब की हर कली को नजर भर देखा है
रंगत ही नहीं खुशबुओं को भी चुरा लेते है
चाहत के नशे में बिखर कर देखा है
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