* मुक्तक *
* मुक्तक *
~~
क्यों मगर तुम अधर सिल रही देखिए।
जब हमारी नजर मिल रही देखिए।
हो रहा है उजाला दिशा खिल उठी।
सामने हर कली खिल रही देखिए।
~~~~~~~~~~~
सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०२/०९/२०२४
* मुक्तक *
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क्यों मगर तुम अधर सिल रही देखिए।
जब हमारी नजर मिल रही देखिए।
हो रहा है उजाला दिशा खिल उठी।
सामने हर कली खिल रही देखिए।
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सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०२/०९/२०२४