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20 Aug 2024 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक

चंद गीत मुहब्बत के आओ गुनगुनाऐं चलो
खुद को खुशियों से आओ मिलाएँ चलो l
क्यूँ कर बिखर जाएँ आस के मोती
किसी रोते हुए को आओ हँसायें चलो ll

अनिल कुमार गुप्ता *अंजुम *

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