मुक्तक
मुक्तक
~~
झिलमिलाती चान्दनी है यामिनी में।
चाह है प्रिय से मिलन की कामिनी में।
रौशनी ले बढ़ रही है प्रेम पथ पर।
है बहुत विश्वास मन की स्वामिनी में।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य
मुक्तक
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झिलमिलाती चान्दनी है यामिनी में।
चाह है प्रिय से मिलन की कामिनी में।
रौशनी ले बढ़ रही है प्रेम पथ पर।
है बहुत विश्वास मन की स्वामिनी में।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य