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20 Jul 2024 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक
~~
झिलमिलाती चान्दनी है यामिनी में।
चाह है प्रिय से मिलन की कामिनी में।
रौशनी ले बढ़ रही है प्रेम पथ पर।
है बहुत विश्वास मन की स्वामिनी में।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

1 Like · 1 Comment · 121 Views
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