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5 Jul 2024 · 1 min read

मुक्तक …..

मुक्तक …..
बह्र…..221 2122 221 2122
🌨️🌦️🌧️🌴🌾🌿🌲🌳🌼🌹🌺🌷🌻
बादल उमड़ के आये , बरसेंगे झूम के ये ,
प्यासी ज़मीं की गर्मी ,बुझती हुजूम में ये ,
कोयल कुहुक रही है मौसम के रंग पे भी,
अरमां मचल रहे हैं , पेड़ों के झूम के ये ।

✍️नील रूहानी,,,,,05/07/2024,,

93 Views

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