मुक्तक
मुक्तक
अनैतिक राहों पर , मंजिल की तलाश
आखिर कब तक यूं ही , सफ़र तेरा चलता रहेगा
क्यूँ नहीं रुकता , अनजान राहों पर भटकता
आखिर कब तक यूँ ही , भटकना तेरा चलता रहेगा |
अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
मुक्तक
अनैतिक राहों पर , मंजिल की तलाश
आखिर कब तक यूं ही , सफ़र तेरा चलता रहेगा
क्यूँ नहीं रुकता , अनजान राहों पर भटकता
आखिर कब तक यूँ ही , भटकना तेरा चलता रहेगा |
अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”